मणिपुर में कब थमेगा हिंसा का तांडव, राज्य में 16 महीनों से शांति भंग है.

1
मणिपुर में कब थमेगा हिंसा का तांडव, राज्य में 16 महीनों से शांति भंग है.
Spread the love

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की ताजा लपटों से शांति को अपने जद में ले लिया है. हिंसा और मौत की खबरों के बीच फिलहाल इलाके में तनाव है और सुरक्षा बलों की कई अतिरिक्त टुकड़ियों को इलाके में उतारा गया है. मणिपुर में 16 महीनों से शांति भंग है. पौन दो साल पहले शुरू हुआ कुकी मैती विवाद फिर से आक्रोश के अंगारों में बदल चुका है. सवाल है कि मणिपुर के जख्म भरेंगे कब? कब मणिपुर शांति पथ पर लौटेगा? ये सवाल इसलिए क्योंकि इस हिंसा में मणिपुर ने बहुत कुछ खोया है. 250 से ज्यादा लोग मारे गए. हजारों घर फूंक दिए गए? फिर भी हिंसा है कि थमती ही नहीं है? लेकिन ऐसा क्यों है कौन मणिपुर की शांति का दुश्मन है और मणिपुर चाहता क्या है? बारूद में घुटते मणिपुर से पहली ग्राउंड रिपोर्ट बहुत हैरान करने वाली है.

पिछले 16 महीनों में दिन बदले, तारीखें बदली लेकिन मणिपुर के हालात नहीं? कुछ महीनों से मणिपुर शांत था. लेकिन अचानक आक्रोश की ज्वाला फिर धधक उठी. छात्र सड़कों पर हैं. हाथों में पत्थर,आसमान में रॉकेट, ड्रोन और फिजाओं में बारूद की ये गंध अब भी मौजूद है. इंटरनेट बंद हैं. स्कूल कॉलेजों पर ताला है. सड़कों पर सन्नाटे के सिवा कुछ नहीं है. सड़कों पर जले कटे वाहनों का भरमार है.

  • राजभवन के नजदीक, कल जहां सबसे अधिक बवाल था, मणिपुर में आज वहां सन्नाटा है.
  • मणिपुर में विरोध कर रहे छात्रों ने कहा, हम वार झेल रहे हैं हमे शांति चाहिए.
  • हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर में सी आर पी ऍफ़ की 16 बटालियन पहले से तैनात हैं.
  • हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर में सी आर पी ऍफ़ की नई इकाइयों को राज्य में भेजा गया है.
  • लगभग डेढ़ साल पहले हिंसा की शुरुआत हुई थी मणिपुर में.
  • हिंसा का प्रमुख कारण मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग हें.
  • 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है पिछले साल शुरू हुई हिंसा से मणिपुर में.

राजभवन के नजदीक, कल जहां सबसे अधिक बवाल था, मणिपुर में आज वहां सन्नाटा है.

राज्य ने 5000 हिंसक घटनाएं झेंली. 225 लोगों को मरते देखा. 10 हजार से ज्यादा एफआईआर हुई. 70 हजार लोगों को बेघर हुए. 52 सौ दुकान और मकानें आग में जल गई.  राजभवन के नजदीक, कल जहां सबसे अधिक बवाल था, मणिपुर में आज वहां सन्नाटा है. राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य असम जा चुके हैं. इंफाल की सड़कों पर कल हुए जबरदस्त विरोध का असर दिखाई दे रहा है. जरूरी सेवाओं को छोड़कर सड़क पर किसी को निकलने की इजाजत नहीं है.

मणिपुर में विरोध कर रहे छात्रों ने कहा, हम वार झेल रहे हैं हमे शांति चाहिए.

मणिपुर की सड़कों पर एबीपी को जो दिखा वो रोंगटे खड़े करने वाला है. सड़कों पर पलटे हुए वाहन, ब्लॉकेड, असामान्य हो चुके जन जीवन की निशानियां मौजूद हैं. Asia की सबसे बड़ी महिलाओं की Ema market के आसपास भी हमें सन्नाटा ही नजर आया. कांगला फोर्ट के पास फ्लाईओवर पर तोड़फोड़ के निशान दिख रहे हैं. मणिपुर में विरोध कर रहे छात्रों ने कहा, “हम वार झेल रहे हैं. हमे शांति चाहिए. सेंट्रल फोर्स वापस जाएं. CM, PM किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया.”

हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर में सी आर पी ऍफ़ की 16 बटालियन पहले से तैनात हैं.

राज्य में हिंसा के बढ़ते मामले ने सुरक्षा बलों की चिंताएं बढ़ा दी है. बीते कुछ दिनों रॉकेट लॉन्चर्स और हैंड ग्रेनेड से हुए हमलों ने सुरक्षा एजेंसियों की परेशानी बढ़ा दी है. वर्तमान में, मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद से सी आर पी ऍफ़ की 16 बटालियन पहले से तैनात हैं. हिंसा से पहले मणिपुर में लगभग 10-11 सी आर पी ऍफ़ बटालियन थीं. एक सी आर पी ऍफ़ बटालियन में लगभग 1,000 कर्मियों की ऑपरेशनल क्षमता होती है.

हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर में सी आर पी ऍफ़ की नई इकाइयों को राज्य में भेजा गया है.

दि टेलीग्राफ अखबार ने गृह मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से कहा, “मणिपुर में सी आर पी ऍफ़ की अहम भूमिका होगी, क्योंकि हिंसा शुरू होने के बाद से बल की नई इकाइयों को राज्य में भेजा गया है. दो अतिरिक्त बटालियन की तैनाती का उद्देश्य बल को मजबूत करना है.” इन दो इकाइयों के कर्मियों ने आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी की ट्रेनिंग ली है. उन्हें लॉजिस्टिक, आवास, उपकरण और एंटी-ड्रोन तकनीक का समर्थन मिलेगा और इसकी योजना बनाई जा रही है.

लगभग डेढ़ साल पहले हिंसा की शुरुआत हुई थी मणिपुर में.

मणिपुर में लगभग डेढ़ साल पहले हिंसा की शुरुआत हुई थी. उस समय, मणिपुर हाई कोर्ट ने 27 मार्च 2023 को राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने पर शीघ्रता से विचार करने के लिए कहा था. इस आदेश के कुछ दिनों बाद, राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी, जिसमें कई लोगों की जान गई. इस हिंसा के परिणामस्वरूप हजारों लोग बेघर हो गए और सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा.

हिंसा का प्रमुख कारण मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग हें.

मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को इस हिंसा का प्रमुख वजह माना जाता है. मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले कुकी जनजाति के लोग इस मांग का विरोध कर रहे हैं. इसके बाद में, फरवरी 2024 में, मणिपुर हाई कोर्ट ने अपने पहले के आदेश से उस हिस्से को हटा दिया जिसमें मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी.

200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है पिछले साल शुरू हुई हिंसा से मणिपुर में.

पिछले साल शुरू हुई हिंसा से मणिपुर में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. राज्य में हालात अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं. हिंसा से प्रभावित मैतेई और कुकी समुदायों के लोग अब भी बड़ी संख्या में राहत शिविरों में रह रहे हैं. कुछ लोगों को मिजोरम जैसे पड़ोसी राज्य में शरण लेनी पड़ी है.

Source link

ये भी पढ़ें.

राहुल गांधी के घर के बाहर भाजपा के सिख नेताओं का बवाल, हालात काबू करने के लिए सिख नेताओं को हिरासत में लेना पड़ा.

 

राहुल गांधी के द्वारा सिखों पर दिए बयान से खफा रवनीत सिंह बिट्टू, कहा जो पाकिस्तान न करा सका वह यह कराना चाहते हैं.

मेरा परिचय।


Spread the love

1 thought on “मणिपुर में कब थमेगा हिंसा का तांडव, राज्य में 16 महीनों से शांति भंग है.

  1. I do not even know how I ended up here but I thought this post was great I do not know who you are but certainly youre going to a famous blogger if you are not already Cheers

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *