जम्मूकश्मीर के नागरिक जो सुरक्षा बालों में काम करते हे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे राज्य और केंद्र सरकार , आये दिन छुट्टी पर जाने वाले सुरक्षा कर्मियों की और उनके परिवार की निर्मम हत्या कर रहें हें आतंकवादी.

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जम्मूकश्मीर के नागरिक जो सुरक्षा बालों में काम करते हे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे राज्य और केंद्र सरकार , आये दिन छुट्टी पर जाने वाले सुरक्षा कर्मियों की और उनके परिवार की निर्मम हत्या कर रहें हें आतंकवादी.
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जम्मूकश्मीर में सुरक्षा बालों में कार्यरत कर्मचारी और अधिकारीयों की सुरक्षा न तो जम्मूकश्मीर राज्य के सरकारी अधिकारी और न हे केंद्र की सरकार सुनिश्चित कर पाई हे, भारत के बाकि राज्यों के सुरक्षा बल के कर्मचारी और अधिकारी छुट्टी मिलने पर अपने राज्यों में चले जाते हे. परन्तु जो जम्मूकश्मीर के नागरिक हे और वह छुट्टी मिलने पर कहाँ जायेंगे? अभी एक दिन पहले ही जम्मू के पहाड़ी और सीमा क्षेत्र राजोरी में सेना के जवान को जो छुट्टी पर घर आया था हत्या करने के कोशिश की वह सैनिक प्रश्क्षित था और अपनी आत्म रक्षा में सफल हुआ परन्तु उसके बड़े भाई की आतंकवादियों ने हत्या कर दी.

एसा ही चलता रहा तो फिर जम्मूकश्मीर का स्थाई नागरिक सुरक्षा बालो में काम नहीं कर पायेगा.

यदि हम ऐसे समाचारों को पढ़ें तो यह कोई पहली घटना नहीं हे जहाँ जम्मूकश्मीर में रहने वाले और सुरक्षा बल में काम करने वाले की या उसके परिवार के किसी सदस्य की हत्या ना की हो. विचार करने वाली बात यह हे कि अब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकला गया. यदि एसा ही चलता रहा तो फिर जम्मुकश्मीर का स्थाई नागरिक सुरक्षा बालो में काम नहीं कर पायेगा. यदि सुरक्षा बालों में स्थानीय नागरिक भाग नहीं लेंगे तो इस आतंकवाद को समाप्त नहीं किया जा सकता हे. राज्य और केंद्र को इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी ही होगी अन्यथा एसी हानियाँ होती रहेंगी.

जम्मूकश्मीर के जो नागरिक सुरक्षा बालों में कार्यरत हे आतंकवादी उनकी निर्मम यातनाये देकर हत्या कर देते हें. 

जो जम्मूकश्मीर के समाचारों को पढ़ते हे उन पाठकों को ज्ञात होगा की शहीद अधिकारी लेफ्टिनेंट फ़याज़ भी छुट्टी मिलने पर अपने गाँव आया था और आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी. शहीद सिपाही ओरंगजेब भी इसी क्षेत्र के आसपास का था और छुट्टी  मिलने पर गाँव आया था उसको भी उसके गाँव से पहले अफहर्ण किया गया और बहुत यातनाएं देने के बाद उसकी हत्या का दी गई. यह सभी जम्मूकश्मीर से स्थाई नागरिक थे जो सेना में कार्य कर रहे थे और छुट्टी मिलने पर अपने गाँव आये थे.

सुरक्षा बल में जो जम्मूकश्मीर के नागरिक हें उन्हें छुट्टी के समय भी आत्म रक्षा के लिए हथियार दिया जाये. 

विचार करने वाली बात यह हे कि इन जम्मूकश्मीर के नागरिकों को विशेष कर सेना और पुलिस बल में जो कार्यरत हे इनको भी अपनी आत्म रक्षा के लिए कोई हथियार रखने दिया जाये, रक्षा विशेश्यग्यों को इस पर विचार कर जो ठीक लगे किया जा सके. में एक लेखक हूँ और यदि में अपने विचार प्रकट करूं तो इसमें मुझे किसी प्रकार की हानि नहीं लगती अपितु यदि सुरक्षा कर्मी को छुट्टी जाने पर उसकी आत्म रक्षा के लिए कोई हथियार मिलेगा तो वह अपनी रक्षा के साथ अपने परिवार की भी रक्षा कर सकेगा.

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