कहानी, जो भगवान की शरण मे जाता हे भगवान उसकी रक्षा करते हें।
एक बहुत घने जंगल मे एक साधू की कुटिया थी, साधू को शायद एकांत पसन्द था इसी लिए उसने बस्ती से दूर घने जंगल मे अपना निवास स्थान बनाया था। साधू उस क्षेत्र मे बहुत प्रसिद्ध था, साधू बस्ती मे भिक्षा मागने आता तो लोग उसको अच्छी सेवा करते थे ओर भिक्षा भी देते थे। उसका एक शिष्य भी था जो साधू की सेवा करता था, जब खाना पीना समाप्त होता था तो दोनों गुरु ओर शिष्य बस्ती मे भिक्षा के लिए जाते थे।
एक दिन गुरु जी ने शिष्य से कहा की खाना पीना समाप्त हो गया हे बस्ती जाकर भिक्षा मांग कर कुछ ले कर आओ, शिष्य ने पूछा गुरु जी आप साथ नहीं चलेंगे। गुरु जी ने कहा की नहीं अब कभी कभी ही मे तुम्हारे साथ बस्ती मे भिक्षा के लिए जाया करूंगा, अधिकाश तुम अकेले जया करोगे। शिष्य ने गुरु जी की आज्ञा के अनुसार तेयारी को ओर कुछ खाली पड़े थेले इक्कठे किए ओर आज्ञा ले कर बस्ती की ओर निकाल पड़ा। कुछ दूर जाने पर पीछे मुड़कर देखा की गुरु जी ध्यान मे बेठे हे ओर कुछ दूरी पर एक शेर उनकी तरफ आ रहा हे ।
शिष्य की समझ मे नहीं आ रहा था की वह क्या करे, यदि वह चिल्लाता तो भी उसकी आवाज़ गुरु जी तक नहीं पहुँच पति। यदि वह भाग कर भी वापिस जाता तो भी जल्दी नहीं पहुँच सकता था क्योंकि शेर गुरु के बिलकुल पास पहुँच रहा रहा था। वह ईश्वर से प्राथना कर रहा था की उसे कोई मार्ग बताये जिस से गुरु जी की जान बच सके। वह अभी कुछ विचार कर पता वह देख रहा था की शेर गुरु जी के बिलकुल सामने खड़ा था, ओर गुरु जी को घूर रहा था। शिष्य की सांस अटक रही थी हाथ पाऊँ फूल रहे थे की वह क्या करे ।
गुरु जी आँखें बंद कर ध्यान मे मग्न थे, शेर ने कुछ देर उनको घूरा फिर एक दो चक्कर गुरु जी के चारों ओर लगा कर वह भी आराम से बेठ गया। शिष्य को लग रहा था की शेर कभी भी किस भी समय गुरु जी पर आक्रमण कर देगा ओर शायद उस से पहले ही शिष्य का दिल शरीर फाड़ कर बाहर आ जाएगा। शिष्य ने अनुभव किया की शेर आक्रमण की मुद्रा मे नहीं बिलकुल आराम से बेठा हे ओर गुरु जी उसी प्रकार से आँखें बंद करके ध्यान मे बेठे हें।कुछ समय के बाद शेर उठा ओर गुरु जी की ओर एक बार फिर देखा ओर वापिस जंगल की ओर चल पड़ा।
यह दृश्य देख कर शिष्य चकित हो गया था की यह केसे संभव हुआ, परन्तु उसे याद आया की गुरु जी ने उसके बस्ती से भिक्षा मांग कर लाने को भेजा हे तो वह बस्ती की जल्दी जल्दी चलने लगा। बस्ती वालों ने देखा की गुरु जी का शिष्य कुछ चिंतित हे कुछ लोगो ने पूछा भी की क्या बात हे परन्तु शिष्य ने कुछ नहीं बताया। शिष्य ने निश्चय किया की जब तक गुरु जी से न पूछू किसी को नहीं बताऊंगा। शाम होने पर शिष्य वापिस घने जंगल मे गुरु जी की कुटुया मे पहुंचा तो गुरु जी ने पूछा, शिष्य बड़ी देर लग गई भिक्षा लेने मे कोई कठिनाई तो नहीं आई परन्तु शिष्य ने कुछ उत्तर नहीं दिया देर से आने पर क्षमा मांगी ओर दिनचर्या के काम मे लग गया।
कुछ दिन बीत गए परन्तु शिष्य ने गुरु जी से अब तक पूछने का साहस नहीं कर पाया, कि कुछ दिन पहले उसने देखा था कि शेर भी गुरु जी सामने शांत हो कर वापिस चला गया था। कुछ दिन के बाद जब फिर खाना पीना समाप्त हो गया तो शिष्य ने गुरु जी से पूछा कि गुरु जी खाने पीने कि सामग्री समाप्त हो गई हे क्या करें तो गुरु जी ने कहा तो करो तेयारी बस्ती मे जाने की । शिष्य ने पूछा गुरु जी मे अकेला ही भिक्षा मागने जाऊँ या आप भी साथ मे चलोगे, तो गुरु जी ने कहा अबकी बार मे भी तुमहरे साथ चलूँगा ।
गुरु जी ओर शिष्य बस्ती मे भिक्षा मागने के तेयारी करने लगे, गुरु जी ने कहा की सब समान के साथ साथ अपनी लाठी ओर मेरी लाठी उठाना मत भूलना । शिष्य हेरन था की जिसको शेर कुछ नहीं कर पाया वह बस्ती के कुत्तों के लिए लाठी उठाने की बात कर रहा हे, चलो बाद मे पूछ लेंगे पहले थेले आदि इक्कठा करते हे। गुरु जी फिर बोले की वह जो जड़ी बूटी हे उसको उठाना न भूलना, ओर लाठी उठाना मत भूलना। शिष्य से अब रहा नहीं गया ओर पूछ बेठा गुरु जी पिछली बार जब मे अकेला भिक्षा मांगने गया था तो जो उसने सारी कहानी गुरु जी को बता दी। गुरु जी ने कहानी सुनी ओर कहा मुझे तो कुछ पता नहीं मे तो ध्यान मे था।
गुरु जी ने शिष्य से कहा फिर भी इस कहानी से एक शिक्षा मे तुम्हें देता हूँ की उस समय मे अकेला था ओर भगवान के ध्यान मे बेठा था ओर जो भगवान के ध्यान मे बेठा होता हे उसकी सुरक्षा भगवान के हाथ मे होती हे। तुमने अपनी अपनी आँखों से देखा की भगवान अपने भक्त की रक्षा करता हे। अब सुनो की मे बार बार लाठी उठाने को क्यों कह रहा हूँ, मेरे साथ भिक्षा मांगने कोन जा रहा हे शिष्य ने कहा आपके साथ मे चल रहा हूँ तो गुरु जी ने कहा की इसका अर्थ यह हुआ की मेरी सुरक्षा कोन करेगा शिष्य ने कहा मे आप की सुरक्षा करूंगा गुरु जी । गुरु जी ने कहा की इसीलिए मे कह रहा हूँ की अपनी ओर मेरी लाठी उठाना न भूलना। उस दिन मे भगवान की सुरक्षा मे था ओर आज मे तुम्हारी सुरक्षा मे हूँ।
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