सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को अंतरिम राहत, मानहानि मुकदमे पर रोक।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के रांची की निचली अदालत में चल रहे मानहानि के मुकदमे पर रोक लगा दी है। यह मामला 2018 का है, जब राहुल गांधी ने बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह को हत्यारा कहने का बयान दिया था।
मामले की पृष्ठभूमि
2018 में राहुल गांधी ने एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि, “बीजेपी ऐसी पार्टी है जो एक हत्यारे को भी अध्यक्ष के रूप में स्वीकार कर लेती है।” इस बयान को लेकर बीजेपी कार्यकर्ता नवीन झा ने रांची की अदालत में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया। अदालत ने इस मामले में राहुल गांधी को पेशी के लिए समन जारी किया था।
राहुल गांधी की याचिका
राहुल गांधी ने इस मुकदमे को खारिज करने के लिए झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हालांकि, फरवरी 2022 में हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच के सामने पेश हुआ। राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि शिकायतकर्ता नवीन झा इस मामले में सीधे प्रभावित पक्ष नहीं हैं। इसलिए उनके द्वारा मुकदमा दायर करना औचित्यपूर्ण नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में झारखंड सरकार और शिकायतकर्ता नवीन झा को नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके बाद राहुल गांधी को दो हफ्ते में अपना उत्तर दाखिल करना होगा। मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।
राहुल गांधी के लिए राहत
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से राहुल गांधी को फिलहाल राहत मिल गई है। अदालत ने मानहानि के मुकदमे पर रोक लगा दी है, जिससे राहुल गांधी को कुछ समय के लिए राहत मिली है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में मामला
यह मामला 2018 के उस समय का है जब राहुल गांधी बीजेपी और उसके नेताओं पर तीखे हमले कर रहे थे। इस बयान को लेकर बीजेपी ने इसे पार्टी और अमित शाह की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताया था।
राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत से कांग्रेस को कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। आगामी सुनवाई में झारखंड सरकार और शिकायतकर्ता के जवाब पर निर्भर करेगा कि मामला किस दिशा में आगे बढ़ेगा।
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