डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में बनाएंगे ‘आयरन डोम’ मिसाइल डिफेंस।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और दोबारा पद की शपथ लेने की तैयारी कर रहे डोनाल्ड ट्रंप ने देश की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए बड़ा ऐलान किया है। ट्रंप ने कहा है कि वह अमेरिकी सेना को ‘आयरन डोम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली के निर्माण का निर्देश देंगे। रविवार को एक रैली में उन्होंने घोषणा की कि शपथ ग्रहण के तुरंत बाद इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया जाएगा। यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम पूरी तरह अमेरिका में ही विकसित किया जाएगा।
इजरायली मिसाइल शील्ड की तर्ज पर होगा अमेरिकी ‘आयरन डोम’
ट्रंप ने बताया कि यह प्रणाली इजरायल की प्रसिद्ध ‘आयरन डोम’ रक्षा प्रणाली के समान होगी और इसी नाम से जानी जाएगी। जल्द ही अमेरिका में भी यह अत्याधुनिक सुरक्षा कवच देखने को मिल सकता है। उन्होंने अमेरिका की सीमाओं के चारों ओर एक आधुनिक मिसाइल डिफेंस ‘फोर्स फील्ड’ बनाने की बात भी कही है।
चुनावी वादे को पूरा करने की तैयारी
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि सत्ता में लौटने के बाद वह अमेरिका के लिए ‘आयरन डोम’ का निर्माण सुनिश्चित करेंगे। उनका मानना है कि मौजूदा वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए अमेरिका को भी एक प्रभावी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आवश्यकता है। इजरायल ने हाल ही में हमास और हूती विद्रोहियों के रॉकेट हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम करने के लिए इस सिस्टम का इस्तेमाल किया था, जिसकी सफलता दर 90 प्रतिशत से अधिक बताई गई है।
रूस और चीन की बढ़ती मिसाइल क्षमताओं पर चिंता
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस और चीन की मिसाइल क्षमताएं लगातार बढ़ रही हैं। हाल ही में इन दोनों देशों ने कई बार अमेरिका के सामने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया है, जिससे सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
आयरन डोम: इजरायल की प्रभावी सुरक्षा प्रणाली
इजरायल की आयरन डोम प्रणाली को राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने मिलकर विकसित किया है। यह प्रणाली 4 किलोमीटर से 70 किलोमीटर तक की दूरी पर दागे गए रॉकेट और मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है। इजरायल ने इसका उपयोग अपने नागरिकों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए किया है और यह काफी प्रभावी साबित हुआ है।
अमेरिका में इसकी उपयोगिता पर सवाल
हालांकि, अमेरिकी सेना पहले ही दो ‘आयरन डोम’ सिस्टम हासिल कर चुकी है, लेकिन इनका अधिक इस्तेमाल नहीं किया गया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को इजरायल की तरह छोटे रॉकेट और मोर्टार हमलों से कम, बल्कि लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों से अधिक खतरा है। इस कारण अमेरिका के लिए ‘एरो 3’ या THAAD जैसी उन्नत प्रणालियाँ अधिक उपयुक्त हो सकती हैं।
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