अमेरिका में पन्नू मर्डर की साजिश के आरोप तय करने वाले अटॉर्नी को डोनाल्ड ट्रंप ने हटाया.

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अमेरिका में पन्नू मर्डर की साजिश के आरोप तय करने वाले अटॉर्नी को डोनाल्ड ट्रंप ने हटाया.
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भारतीय नागरिक विकास पर पन्नू के मर्डर की साज़िश के आरोप तय करने वाले न्यूयार्क दक्षिणी डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी डमयिन विलियम्स की जगह अब जे क्लेटॉन लेंगे. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया साइट Truth Social पर लिखा कि मुझे यह घोषणा करने में ख़ुशी हो रही है कि जे क्लेटॉन को न्यूयॉर्क के दक्षिणी ज़िले का यूएस अटॉर्नी बनाने का निर्णय लिया गया है.

पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के अध्यक्ष को लिया बहाल.

डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि न्यूयॉर्क के जे क्लेटन, जो मेरे पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के अध्यक्ष थे, जहां उन्होंने एक अविश्वसनीय काम किया था, को न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के लिए यू.एस. अटॉर्नी के रूप में नामित किया गया है.”

जे क्लेटॉन अमेरिका के एक बहुत ही सम्मानित वकील और लोक सेवक रहे हैं.

ट्रंप ने आगे लिखा, “जे क्लेटॉन एक बहुत ही सम्मानित वकील और लोक सेवक रहे हैं. इन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग और कानून की डिग्री प्राप्त की, और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल की. वह वर्तमान में सुलिवन एंड क्रॉमवेल के वरिष्ठ नीति सलाहकार, कई सार्वजनिक और निजी कंपनियों के बोर्ड सदस्य और व्हार्टन बिजनेस स्कूल और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में कैरी लॉ स्कूल में सहायक प्रोफेसर हैं. जे सच्चाई के लिए एक मजबूत योद्धा बनने जा रहे हैं क्योंकि हम अमेरिका को फिर से महान बना रहे हैं.”

अमेरिका ने एक पूर्व भारतीय अधिकारी पर पन्नू की ‘हत्या की साजिश रचने’ का आरोप लगाया था.

बता दें कि अमेरिका ने अक्टूबर में एक पूर्व भारतीय अधिकारी पर न्यूयॉर्क में रहने वाले खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की ‘हत्या की साजिश रचने’ का आरोप लगाया था. अमेरिका के न्याय विभाग ने पूर्व अधिकारी पर हत्या के लिए भाड़े पर हायरिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप लगाया था. अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक बी गारलैंड ने 17 अक्टूबर 2024 को सुनवाई के दौरान कहा था, ‘आज के आरोप दर्शाते हैं कि न्याय विभाग अमेरिकियों को निशाना बनाने, उन्हें खतरे में डालने और उन अधिकारों को कमजोर करने के प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेगा, जिनका हर अमेरिका का नागरिक हकदार है. इस मामले में जिन दो लोगों के नाम सामने आए हैं वे 39 वर्षीय विकास यादव और 53 वर्षीय निखिल गुप्ता है. इनमें से विकास को भारतीय खुफिया विभाग का स्टाफ बताया गया था. हालांकि भारत सरकार ने इसका खंडन किया था.

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