रामनवमी के अवसर उपद्रव फेलने वाले तत्वों पर बिना किसी पक्षपात कठोर कार्रवाई करके ही सबक सिखाना संभव।
रामनवमी के शुभ अवशर पर बिहार राज्य के सासाराम क्षेत्र और बिहार शरीफ क्षेत्र में आरम्भ हुई हिंसा के कारण जिस प्रकार तीसरे दिन भी दोनों स्थानों पर असामान्य सीतिथि दिखाई दी, वह कानून एवं व्यवस्था की गंभीर स्थिति की व्याख्या दर्शाता है। केंद्रीय सरकार के गृह मंत्री अमित शाह को जिस प्रकार से बिहार के राज्यपाल से इस विषय पर बात करनी पड़ी और अर्द्ध सैनिक बल भेजने का निर्णय लेना पड़ा, उससे यह भी ज्ञात होता है कि पुलिस उस चुनौती का सामना सही प्रकार से नहीं कर सकी, जो उपद्रवी तत्वों ने खड़ी की हे।
रामनवमी के शुभ अवसर देश के कई राज्यों हुई हिंसा चिंताजनक सीतिथि हे।
बिहार से पहले पहले बंगाल में भी हावड़ा की पुलिस रामनवमी पर फैली हिंसा के बाद हालात सामान्य करने में नाकाम रही हे और इसीलिए वहां दूसरे दिन भी हिंसा हुई। रामनवमी पर महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर और गुजरात के वडोदरा में भी हिंसा हुई थी। गनीमत यह रही कि वहां अपेक्षाकृत समय रहते हिंसा पर काबू पा लिया गया। यह आशा की जाती है कि जिन भी राज्यों में रामनवमी पर हिंसा हुई, वे उन तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करेंगे जिन्होंने उपद्रव किया।
कुछ राज्य ओर क्षेत्र भी ऐसे हैं, जहां रामनवमी अथवा दुर्गापूजा पर हिंसा भड़क उठती है।
राज्यों को इस पर विचार करना होगा कि इस प्रकार की शोभायात्राओं को निशाना क्यों बनाया जाता है और ऐसा करने वाले कौन होते हैं? भारत कुछ शहर ऐसे भी हैं, जहां प्रायः देखा गया हे कि हर पर्व-त्योहार पर हिंसा और असामान्य सीतिथि देखने को मिलती है। बिहार राज्य के सासाराम की गिनती ऐसे ही शहरों में होती है। कुछ अन्य क्षेत्र भी ऐसे हैं, जहां रामनवमी अथवा दुर्गापूजा पर हिंसा भड़क उठती है। जब भी ऐसा होता है तो राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का वाक युद्ध छिड़ जाता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। यह स्वाभाविक है, परन्तु इसके कारण उपद्रवी तत्वों पर प्रतिबंध लगाने में कोई ढील नहीं बरती जानी चाहिए।
रामनवमी मे हुये उपद्रवों पर कठोर कार्रवाई करके ही उपद्रवी तत्वों के दुस्साहस का दमन किया जा सकता है।
एक कठोर निर्णय लिया जाना चाहिए ओर रामनवमी मे हुये उपद्रवों पर कठोर कार्रवाई करके ही उपद्रवी तत्वों के दुस्साहस का दमन किया किया जाना चाहिए। इस मामले में उत्तर प्रदेश एक उदाहरण बन रहा है। अन्य राज्य सरकारों को इस पर विचार करना होगा कि नियम एवं व्यवस्था के विषय में उत्तर प्रदेश उदाहरण के रूप मे सक्षम है? सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले तत्वों के विरुद्ध इसलिए कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि वे अपनी हरकतों से केवल सामाजिक सद्भाव को ही हानी नहीं पहुंचाते, आपितु राज्य सरकारों की बदनामी का कारण भी बनते हैं।
रामनवमी पर उपद्रव करने वाले अपराधी तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करके ही उन्हें पाठ सिखाया जा सकता हैं।
विडंबना यह है कि राज्य सरकारें सही पाठ सीखने के स्थान पर प्रतिद्वंद्वी दलों को कठघरे में खड़ा करने में जुट जाती हैं। राज्य सरकारें यह विस्मृत नहीं कर सकतीं कि नियम एवं व्यवस्था को नियंत्रित रखना उनकी जिम्मेदारी है और वे बिना किसी पक्षपात के रामनवमी पर हुये उपद्रव फेलाने वाले अपराधी तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करके ही उन्हें पाठ सिखाया जा सकता हैं। यह ठीक नहीं कि देश के कुछ विशेष क्षेत्रों में सांप्रदायिक तत्व बार-बार नियम के शासन को चुनौती दें। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर और गुजरात के वडोदरा, हावड़ा के बाद बिहार के सासाराम और बिहार शरीफ में उपद्रवी तत्वों ने यही किया है।
यह भी पढ़ें।
प्रधानमंत्री हो तो एसा हो, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री सुश्री जसिंदा आर्डर्न एक जीवित उधाहरण।