कहानी, भगवान जो करता हे अच्छा ही करता हे।

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कहानी, भगवान जो करता हे अच्छा ही करता हे।
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एक राजा था उसका एक मंत्री था जिसको हर बात पर कहने की आदत थी “ईश्वर जो करता हे अच्छा ही करता हे” राजा को यह बात अच्छी तो नहीं लगती थी, मगर उनसे कभी अपने मंत्री को यह नहीं बताया।

एक बार राजा की उंगली में चोट आई, चोट इतनी गहरी थी की बड़ी मुश्किल से उगली को बचाया गाया नहीं तो शरीर से गिर जाती। राजा की उंगली में चोट की आई हे जब इसका समाचार मंत्री को प्राप्त हुआ तो वह भी राजा से मिलने के लिए आया ओर राजा से कहा महाराज आप घबराये नहीं “भगवान जो करता हे अच्छा ही करता हे” इस बात पर राजा को गुस्सा आया ओर उसने सैनिको को आदेश दिया की इस मंत्री को बन्दी बना लिया जाये ओर कारागार में डाल दिया जाये। राजा के आदेश पर उस मंत्री को गिरफ्तार कर बन्दी बनाकर कारागार में डाल दिया गया, कुछ दिनो के बाद राजा उस मंत्री से मिलने गया ओर पूछा की अब क्या कहते हो। उस मंत्री ने फिर वही उत्तर दिया महाराज मुझे कोई दुख नहीं हे ओर आप से भी कोई शिकायत नहीं हे “भगवान जो करता हे अच्छा ही करता हे”

कुछ समय के बाद राजा शिकार खेलने के लिए जंगलो में गया एक हिरण के पीछा करते-करते सैनिकों से दूर हो गया ओर भील लोगों के क्षेत्र में पहुँच गया। वहाँ भील लोगों ने उसे पकड़ लिया ओर बन्दी बनाकर अपने राजा के पास ले गए भीलों के राजा ने अपने सैनिकों को अपने भाषा में कुछ कहा। राजा फड़फड़ा रहा था कि में भी एक राजा हूँ ओर शिकार करने के लिए जंगलों में रास्ता भटक गया हूँ, परन्तु भीलों ने उसकी एक न सुनी उन्होने कहा की हमारा अपना राज हे यहा हमारी चलती हे जो जंगली प्राणियों का शिकार करता हे उसको हम अपने देवता पर बलि चढ़ाते हे। भीलों के राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया की इसको तेयार करो ओर कल देवता पर इसकी बलि दी जाएगी।

जंगली भीलों ने उसको नहलाया धुलाया पूरी तरहा से उसकी सेवा की ओर कहा रात भर आराम करो सुबह हमने देवता की सेवा में तेरी बलि देनी हे। राजा न तो ठीक से कुछ खा पाया ओर न ही ठीक से सो पाया पूरी रात इसी चिंता में रहा की अब क्या होगा। राजा के सैनिकों ने भी उसको बहुत ढूंडा जब वह नहीं मिला तो उसके सैनिक वापिस चले गए, राजा को बड़ा दुख हो रहा था कि उसने अपने अच्छे मंत्री को भी कारागार में रक्खा हे आज वह यदि उसके साथ होता तो सहायता करता। परन्तु अब राजा क्या कर सकता था उसे लग रहा था कि उसकी बलि निश्चिंत हे अब नहीं बचेगा।

रात जेसे तेसे गुज़र गई सुबह भीलों के सैनिक आए ओर राजा को कारगर से बाहर निकाल कर फिर दूबरा नहलाया धुलाया गया, ओर फूलो की मलाये पहना कर उनके देवता के सामने बैठाया गया। सभी भील पहुँच गए थे उनका राजा भी आ गया ओर उन्होने पूजा पाठ ओर नाच गाना शुरू किया, उनके पुजारी ने बाली का समय बताया ओर उसकी जांच करने को कहा। कुछ भील लोग जो देवता की बली की विधि जानते थे उन्होने इस राजा की जांच पड़ताल की। एक भील पुजारी ने जाच में पाया की राजा की उंगली कटी ओर देवता पर इसकी बाली नहीं दी जा सकती, उसने चुपके से भीलों के सैनिक सरदार से कहा। भीलों के सरदार ने भीलों के राजा को बताया की इसकी उंगली कटी हे इस कारण इसकी बाली नहीं दी जा सकती, यह सुन कर भीलों का राजा बड़ा क्रोधित हुआ ओर आदेश दिया की इसको मर पीट कर इसके राज्य की सीमा में फेंक दो।

राजा को भीलों ने मर पीट कर उसके देश की सीमा में फेंक दिया, जेसे तेसे राजा अपने महल पहुँचा। महल पहुँचने पर सबसे पहले उसे मंत्री से मिले जिसे कारगार में डाला गया था, मंत्री ने फिर वही उत्तर दिया महाराज “भगवान जो करता हे अच्छा ही करता हे” राजा ने पूछा यह कि में मानता हूँ की में बच गया हूँ परन्तु तुम्हारे साथ ईश्वर ने क्या अच्छा किया। मंत्री ने उत्तर दिया कि महाराज यदि में कारागार में नहीं होता आपके साथ होता तो भील आपको छोड़ कर मुझे देवता कि बाली में चढ़ा देते। इसीलिए “भगवान जो करता हे अच्छा ही करता हे”। 

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