कहानी, रहस्यमयी हवेली का अजीब सच।
रहस्यमयी हवेली की कहानी इस प्रकार शुरू होती हे कि, गाँव के बाहर एक पुरानी हवेली थी, जिसके बारे में अजीब-अजीब कहानियाँ प्रचलित थीं। लोग कहते थे कि वहाँ रात में अजीब आवाज़ें आती हैं और जिसने भी वहाँ रात बिताई, वह फिर कभी नहीं दिखा। इस हवेली को लेकर गाँववालों में डर था, और कोई भी शाम होते ही वहाँ जाने की हिम्मत नहीं करता था।
रहस्यमयी हवेली पर राहुल की जिज्ञासा बढ़ती गई
राहुल एक युवा पत्रकार था, जिसे रहस्यमयी घटनाओं पर लिखने का शौक था। जब उसने इस रहस्यमयी हवेली के बारे में सुना, तो उसकी जिज्ञासा बढ़ गई। उसने ठान लिया कि वह इस हवेली में एक रात गुज़ारेगा और सच का पता लगाएगा। उसके दोस्त और परिवार ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना।
अंधेरी रात और हवेली का सन्नाटा
राहुल रात में हवेली पहुँचा। दरवाजे की चरमराहट से उसका दिल जोर से धड़कने लगा। अंदर घुसते ही उसे महसूस हुआ कि कोई उसे देख रहा है। हवेली के अंदर धूल जमी थी, फर्श पर पुराने निशान थे और मकड़ी के जाले दीवारों पर फैले हुए थे। हवेली की दीवारों पर समय के निशान साफ़ दिख रहे थे।
अजीबोगरीब आवाज़ों ने बढ़ाई बेचैनी
जैसे ही रात गहराने लगी, हवेली के अंदर अजीब-अजीब आवाज़ें गूंजने लगीं। कभी किसी के चलने की आवाज़, तो कभी फुसफुसाहट। राहुल ने अपने कैमरे से सब रिकॉर्ड करना शुरू किया। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, लेकिन वह हिम्मत करके आगे बढ़ता रहा। अचानक उसे लगा कि उसकी पीठ के पीछे कोई खड़ा है, लेकिन जब उसने मुड़कर देखा, तो वहाँ कोई नहीं था।
पुराने चित्रों में छिपा था रहस्य
हॉल में लगे पुराने चित्रों में कुछ अजीब सा था। एक तस्वीर में खड़ा आदमी धीरे-धीरे राहुल को देखने लगा। राहुल का शरीर ठंडा पड़ गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह उसका भ्रम है या सच्चाई। अचानक हवा के झोंके से खिड़की खुली और एक पुराना कागज़ उड़कर उसके पास आ गिरा। कागज़ पर धुंधले अक्षरों में कुछ लिखा था, जिसे समझ पाना मुश्किल था।
रहस्यमयी दर्पण और परछाई
राहुल को हवेली के अंदर एक पुराना दर्पण मिला, जिसमें उसे अपनी ही परछाई कुछ अजीब सी लग रही थी। जब उसने ध्यान से देखा, तो उसे लगा कि आईने में कोई और भी है, जो धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रहा है। घबराकर उसने आईना तोड़ दिया, लेकिन उस क्षण कमरे का तापमान अचानक गिर गया और ठंडी हवा चलने लगी।
एक परछाई आई सामने
अचानक, उसे अपने पीछे किसी की परछाई दिखी। उसने मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। तभी अचानक दरवाजे अपने आप खुलने-बंद होने लगे। हवेली की सीढ़ियों से किसी के नीचे उतरने की आवाज़ आने लगी। राहुल ने हिम्मत करके कैमरा उस ओर घुमाया, लेकिन वहाँ कुछ नहीं था। उसने महसूस किया कि कोई उसके कानों के पास कुछ फुसफुसा रहा है।
पुरानी किताब ने खोला राज़
राहुल को एक पुरानी किताब मिली, जिसमें इस हवेली का रहस्य लिखा था। यह हवेली एक पुराने राजा की थी, जिसे धोखे से मार दिया गया था। उसकी आत्मा आज भी यहाँ भटक रही थी। किताब में लिखा था कि जो कोई भी इस हवेली में एक पूरी रात गुज़ार लेगा, वह इस आत्मा की सच्चाई जान पाएगा।
रहस्यमयी शक्ति से हुआ सामना
अचानक राहुल को लगा कि कोई उसे धक्का दे रहा है। उसकी साँसें तेज़ हो गईं, और वह भागने लगा। लेकिन दरवाजे अपने आप बंद हो गए। वह फँस चुका था। हवेली की दीवारों पर अजीब आकृतियाँ बनने लगीं। उसे लगा कि हवेली की दीवारों से किसी की चीखें आ रही थीं। तभी अचानक उसके सामने एक छाया प्रकट हुई, जिसकी आँखें लाल थीं और वह धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रही थी।
छत के ऊपर छुपा था गुप्त कक्ष
राहुल ने देखा कि हवेली की छत पर जाने के लिए एक गुप्त सीढ़ी थी। जैसे ही वह ऊपर पहुँचा, उसे वहाँ एक छोटा सा कक्ष दिखा, जिसमें एक पुरानी पेंटिंग थी। पेंटिंग में वही आदमी था, जिसे उसने नीचे हॉल में देखा था। अचानक, पेंटिंग की आँखें चमकने लगीं, और हवेली में तेज़ हवा चलने लगी।
भागते-भागते हुआ बेहोश
डर के मारे राहुल ने आँखें बंद कर लीं और जैसे ही वह गिरा, उसे महसूस हुआ कि कोई उसकी गर्दन पकड़ रहा है। वह ज़ोर से चिल्लाया और बेहोश हो गया। बेहोश होने से पहले उसने महसूस किया कि कोई उससे कुछ कहना चाहता था।
सुबह की पहली किरण और नया रहस्य
जब राहुल की आँखें खुलीं, तो वह हवेली के बाहर पड़ा था। उसके कैमरे में कोई रिकॉर्डिंग नहीं थी। यह सब सपना था या सच, यह अब भी एक रहस्य था। लेकिन उसके हाथ में वही पुराना कागज़ था, जो हवेली के अंदर मिला था। कागज़ पर एक पता लिखा था—क्या यह हवेली का अगला सुराग था? राहुल ने तय किया कि वह इस रहस्य को जरूर सुलझाएगा। अब उसके पास नए सवाल थे, जिनका जवाब केवल इस पते पर जाने से ही मिल सकता था।
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