जम्मू कश्मीर को क्या मिलने वाला है पहला हिंदू मुख्यमंत्री? चुनावी आंकड़े क्या दे रहें हें संकेत.
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीन चरणों का मतदान पूरा हो चुका है. अब 8 अक्टूबर को मतगणना होगी. तीनों चरणों में सबसे ज्यादा वोटिंग तीसरे फेज में हुई है. इसका साफ मतलब यह निकलता है कि जम्मू रीजन में जमकर वोटिंग हुई है. चुनाव में पहले फेज में 61.38 फीसदी वोटिंग हुई. दूसरे फेज में 57.31 फीसदी वोटिंग हुई और तीसरे फेज में 66.56 फीसदी. जिस तरह से वोटिंग जम्मू कश्मीर में हुई हैं उस आधार पर चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि सरकार भले ही किसी की भी पार्टी की बने, जम्मू कश्मीर को हिंदू सीएम मिल सकता है.
अब आपको बताते हैं कि वह कौन से कारण है, जिसको लेकर यह कहा जा रहा है कि सरकार किसी की भी बने मुख्यमंत्री कोई हिंदू बन सकता है. इसमें यह जानना बेहद जरूरी होगा कि 1947 में भारत संघ में शामिल होने से लेकर 5 मार्च 1965 तक जम्मू कश्मीर में कोई भी मुख्यमंत्री बनता है तो उसे प्रधानमंत्री का नाम से संबोधित किया जाता है. बाद में प्रधानमंत्री का पद मुख्यमंत्री में बदल दिया गया और राष्ट्रपति को राज्यपाल का नाम दे दिया गया.
- जितने भी मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर में बने वे सारे मुस्लिम थे और कश्मीर घाटी से आते थे.
- भाजपा जम्मू कश्मीर राज्य में जम्मू डिवीजन से अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा करना चाहती है.
- टोटल 90 विधानसभा सीटें हैं जम्मू कश्मीर में, जिनमें से 47 कश्मीर में है और 43 जम्मू में.
- नेशनल कोंफ्रेंस और कांग्रेस बीजेपी को जम्मू कश्मीर दोनों ही रीजन में कमजोर करना चाहते हें.
जितने भी मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर में बने वे सारे मुस्लिम थे और कश्मीर घाटी से आते थे.
इस बदलाव के बाद भी जितने भी मुख्यमंत्री जम्मू कश्मीर में बने वे सारे मुस्लिम थे और कश्मीर घाटी से आते थे, लेकिन एक मुख्यमंत्री ऐसे थे, जो जम्मू के डोडा जिले से ताल्लुक रखते हैं. वह हैं गुलाम नबी आजाद. इस विधानसभा चुनाव में जम्मू नॉर्थ के भाजपा प्रत्याशी और प्रदेश पार्टी उपाध्यक्ष शाम लाल शर्मा ने जम्मू रीजन के वोटरों से अपील की थी कि यदि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री एक मुस्लिम हो सकता है तो जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री हिंदू क्यों नहीं हो सकता. जम्मू अब कश्मीर की शीतकालीन राजधानी नहीं रही और ट्रेन भी अब कटरा तक जाने लगी है, जिससे जम्मू में तीर्थयात्रियों की आमद पहले से बहुत कम हो गई है. यह भी एक कारण है कि हिंदू मुख्यमंत्री बनेगा तो जम्मू के हित और हक में फैसला ले सकेंगे.
भाजपा जम्मू कश्मीर राज्य में जम्मू डिवीजन से अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा करना चाहती है.
जम्मू कश्मीर राज्य में जम्मू डिवीजन में 43 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से भाजपा अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा करना चाहती है. यहां पर हमेशा से त्रिशंकु विधानसभाओं का इतिहास रहा है. अगर ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा संभावनाएं हो सकती है कि बीजेपी का ही मुख्यमंत्री बने. 2002 के चुनाव में कांग्रेस, महबूबा मुफ्ती वाली पीडीपी और कुछ छोटे दलों ने मिलकर सरकार बनाई थी. 2008 में त्रिशंकु परिणाम सामने आए, जिससे नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई. 2014 में बीजेपी ने जम्मू में 25 सीटें हासिल की थी. तब हिंदू मतदाता भाजपा के साथ आ गए थे और बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी. अब बीजेपी खुले तौर पर यह कह रही है कि यदि भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री जम्मू रीजन का ही होगा.
टोटल 90 विधानसभा सीटें हैं जम्मू कश्मीर में, जिनमें से 47 कश्मीर में है और 43 जम्मू में.
जम्मू कश्मीर में अब टोटल 90 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 47 कश्मीर में है और 43 जम्मू में. क्योंकि पहले कश्मीर में विधानसभा सीटें ज्यादा थी इसलिए कश्मीर बढ़त बनाकर चलता था, लेकिन अब जम्मू और कश्मीर रीजन बैलेंस बनाकर चल रहा है. यदि जम्मू में भाजपा 35 सीटें भी जीतती है तो उसे उपराज्यपाल कोटे से नियुक्त पांच और विधायकों का समर्थन मिल जाएगा, लेकिन इसके बाद भी पूर्ण बहुमत के लिए उसे 5-7 MLA की जरूरत तो होगी ही. इसलिए भाजपा ने पोस्ट पोल एलायंस की तैयारी पहले से कर रखी है.
नेशनल कोंफ्रेंस और कांग्रेस बीजेपी को जम्मू कश्मीर दोनों ही रीजन में कमजोर करना चाहते हें.
यदि कांग्रेस को जम्मू में ज्यादातर सीटें मिलती हैं तो हिंदू विधायकों की संख्या मुस्लिम विधायकों की संख्या लगभग बराबर ही होगी ऐसे में NC और कांग्रेस चाहेंगे कि किसी हिंदू को मुख्यमंत्री बना दिया जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि वह दोनों ही चाहेंगे कि बीजेपी को जम्मू कश्मीर दोनों ही रीजन में कमजोर कर दिया जाए.
यह भी पढ़ें.
ईरान इस्राइल संघर्ष के बीच भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी, इन देशों में गैर-जरूरी यात्रा से बचने को कहा गया हे।
Your blog post was like a ray of sunshine on a cloudy day. Thank you for brightening my mood!
Your blog post was so relatable – it’s like you were reading my mind! Thank you for putting my thoughts into words.