भारत ने विश्व को बहुपक्षीय प्रणाली फेल होने के कारण बताये, यू एन एस सी की ओपन डिबेट में राजदूत ने दिया अपना भाषण.

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भारत ने एक बार फिर दुनिया के मंच पर खूब वाहवाही बटोरी है. दरअसल, राजदूत आर. रविंद्र, चार्ज डी’अफेयर्स और डीपीआर ने यूएनएससी ओपन डिबेट में भारत की तरफ से जो भाषण दिया है, उसकी काफी चर्चा हो रही है. आर. रविंद्र ने अपने भाषण में कहा, “…हालांकि हम एक और विश्व युद्ध को रोकने में सफल हो गए हैं, लेकिन इससे संयुक्त राष्ट्र की बढ़ती जटिल वैश्विक चुनौतियों जैसे आतंकवाद, महामारी, जलवायु परिवर्तन, उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न खतरे, साइबर हमले और नन स्टेट एक्टर्स की विघटनकारी भूमिका का जवाब देने में असमर्थता की वास्तविकता नहीं छुपती.”

बहुपक्षीय प्रणाली के फेल होने का कारण बताया भारत के राजदूत आर. रविंद्र ने. 

भारत के राजदूत आर. रविंद्र ने आगे कहा, “जैसा कि हम अभी देख रहे हैं, बहुध्रुवीयता (मल्टीपोलैरिटी) यहां बनी रहेगी. बहुपक्षीय प्रणाली  के असफल होने का मुख्य कारण यह है कि यह अब भी 1945 के पुराने द्विआधारी दृष्टिकोण में फंसी हुई है, जो इस सुरक्षा परिषद की संरचना में स्पष्ट रूप से रिफ्लेक्ट होती है.

भारत की स्थिति का मूल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के आह्वान में निहित है,

आर. रविंद्र ने आगे कहा कि इसलिए सुधारित बहुपक्षवाद पर भारत की स्थिति का मूल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के आह्वान में निहित है, जो आज की समकालीन वास्तविकताओं को दर्शाता है. आइए हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों पर समयबद्ध वार्ता के लिए फिर से प्रतिबद्ध हों. बड़े देशों या समूहों की ओर से अपने खुद के संकीर्ण हितों के लिए बातचीत की प्रक्रियाओं और सिस्टम को नुकसान पहुंचाना बहुपक्षीय भावना के लिए काफी नुकसानदायक है और जहां भी आवश्यक हो, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.”

वैश्विक मंच पर भारत लगातार कर रहा वैश्विक व्यवस्थाओं में सुधार की मांग. 

उल्लेखनीय है कि वैश्विक व्यवस्थाओं में सुधार एक ऐसा मुद्दा रहा है जिसे भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार वैश्विक मंच पर उठाते रहे हैं. 1945 में संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य भारत ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रारूपण में सक्रिय भूमिका निभाई थी और यूएनएससी में सुधार का मुखर समर्थक रहा है. राष्ट्रीय राजधानी में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अपने समापन भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक व्यवस्थाओं को वर्तमान की वास्तविकताओं के अनुरूप बनाने के अपने रुख को दोहराया था और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का उदाहरण दिया था. तब प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया था कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी, उस समय की दुनिया आज से बिल्कुल अलग थी. उस समय संयुक्त राष्ट्र में 51 संस्थापक सदस्य थे. आज संयुक्त राष्ट्र में शामिल देशों की संख्या लगभग 200 है. इसके बावजूद यूएनएससी में स्थायी सदस्य अब भी वही हैं.

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मेरा परिचय।


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